Monday, 11 June 2012

मीरा - प्रेम का सच्चा पर्याय....

An attempt in hindi... Meera has been my favorite ever since... Her love was unconditional above these earthly ties... This attempt is a salute to the true love of her.... Hope you enjoy it...


ना जग जाना, ना रीत जानी
प्रीत की धुन में रही वो दीवानी ...
सुध-बुध खोया शान-मान बिसराई 
फिर भी मीरा दासी और राधा श्याम की कहलाई

पल-पल छिन-छिन जिया ड़पाया 
 कण-कण उसने श्याम को पाया..
ना आए श्याम ना भरी उसकी आस
मीरा तड़पी और श्याम रचाते रहे राधा संग रास...

बाबा ने जब श्याम मूरत दे कहा उससे ये है तेरा वर
उस बाल मन ने तभी से माना तुम्हें अपना सर्वस्व हे मूरलीधर

दिल हार बेबस मन तुम्हीं में  लगाया.. 
रानी पद छोड दासीत्व में सुख पाया....
मान माया उसे कु्छ ना सुहाया...
 सब त्याग उसने श्याम रंग अपनाया....

ना कोई माँग ना उम्मीद लगाई...
 प्रेम धुन गाकर तेरी स्तुती सुनाई...
तुझे ना पाएगी ये जान कर भी ना मानी...
 तेरे रंग में रंगी रही वो प्रेम दीवानी...

रख कर प्रेम श्रद्धा और सबुरी..
 तेरी मूरत से बस कहती वो फिरी..

पिया तोरी चंचल छब हिय में समाई..
मनोहर नैनो ने सुध- बुध बिसराई ....
अधर पर धर बाँसूरी तव पावन
 आओ म्हारे देस करो सुरमय मेरा जीवन....

कस्तुरी आँचल से खुद को सजाए
 श्रृंगार कर बैठी मैं आस लगाए..
कभी तो आओ श्री करने धन्य मेरा जीवन
दरस भर से पाऊ मुक्ति करु तन-मन  अर्पण...

असूअन भर नैनों से निहारू दीप-पु्ष्प लिए आरती गाऊ
ऐसे तोहे आज गरवा लगाऊ संसार से तर तु्झमें समा जाऊ

दे भी दो दरस श्याम उस बावरी को
 पिया मिलन के सुकून से नवाजो उस पगली को
तड़प-तड़प कर ऍसे देखो कहीं ना जाए वो सिधार 
तुम पुरी करो हे मुरलीधर अब उसके प्यार की गुहार

नहीं तो प्रेम से दुनिया का हर शख्स घबराएगा 
इस सत्व भाव से विशवास उठ  जएगा
फिर किसी फुल का ना कोई भँवर होगा
 प्रेम प्रेम नहीं सिर्फ एक आड़ंबर होगा

उसके अस्तित्व पर जब-जब भी विचार किया जाएगा..
 तुम्हारे देवत्व पर भी सवाल किया जाएगा
फिर ना होगी कोई मीरा किसी श्याम की दीवानी 
जर्रा-जर्रा दोहराएगा जब-जब ये प्रेम कहानी........



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